7 Principles of Investing Hindi summary | निवेश के 7 सिद्धांत जिनका उपयोग आप आज से शुरू कर सकते हैं

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7 Principles of Investing Hindi summary |  निवेश के 7 सिद्धांत जिनका उपयोग आप आज से शुरू कर सकते हैं

 7 Principles of Investing Hindi Summary |  निवेश (Investment) आठ अंक अर्जित करने का कौशल है।  इससे आपकी वित्तीय स्वतंत्रता (Financial) खुल जाएगी।  यहां प्रभावी निवेश के 7 सिद्धांत दिए गए हैं जिनका उपयोग आप आज से शुरू कर सकते हैं।  यदि आप उनका उपयोग करना शुरू करते हैं, तो हम गारंटी देते हैं कि आप समय के साथ अपार धन अर्जित करेंगे।  (Investment Strategy)
  1. एक योजना से शुरुआत करें
  सर्वश्रेष्ठ निवेशक हमेशा निवेश से पहले लक्ष्य निर्धारित करते हैं।
  आप किसके लिए बचत कर रहे हैं?
  आप कितना जोखिम संभाल सकते हैं?
  किसी भी अन्य चीज़ से पहले इन प्रमुख प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रतिबद्ध रहें
  2. जल्दी निवेश करें (Invest Early)
  हर बड़ी वित्तीय यात्रा पहले कदम से शुरू होती है।
  क्या आप सही समय का इंतज़ार कर रहे हैं?
  आपको क्या रोक रहा है?
  खुद के साथ ईमानदार रहे
  रास्ता आपकी अपेक्षा से भिन्न दिख सकता है.
  3. “सबसे अच्छा निवेश जो आप कर सकते हैं वह अपने आप में है” – वॉरेन बफेट
  निवेश के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है।
  किताबें, पाठ्यक्रम और मार्गदर्शिकाएँ अच्छी तरह से काम करती हैं।
  4. रे डेलियो की नीति
  रे डेलियो ने संतुलन स्थापित करने के लिए एक साफ-सुथरा ढाँचा बनाया – “ऑल-वेदर पोर्टफोलियो” –
  [40% दीर्घकालिक बांड, 30% स्टॉक, 15% इंटरमीडिएट बांड, 7.5% सोना, 7.5% कमोडिटीज]
  इसे भरें और अपने वित्त को आकार लेते हुए देखें।
  5. विविधीकरण (Diversification)
  विविधीकरण के कारण एक अच्छा पोर्टफोलियो (Portfolio) आपके साथ रहता है।
  अपने पसंदीदा निवेशकों के बारे में सोचें.
  उन्होंने जोखिम का प्रबंधन कैसे किया?
  इससे सीखें.
  प्रत्येक पोर्टफोलियो में विभिन्न प्रकार के निवेश मिलाएं।
  6. पीटर लिंच की दो मिनट की ड्रिल
  पीटर लिंच ने “टू-मिनट ड्रिल” बनाई।
  सबसे पहले, कंपनी के व्यवसाय का अध्ययन करें।
  इसके बाद, अध्ययन करें कि यह एक अच्छा निवेश क्यों है।
  यह ढांचा आपको अपने निवेश को समझने के लिए मजबूर करता है।
  7. चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest)
  चक्रवृद्धि ब्याज एक बहुत शक्तिशाली शक्ति है.
  सर्वोत्तम निवेश समय के साथ विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
  लगातार बढ़ता हुआ निवेश हमेशा के लिए रहता है।

Your Life is 100% your Responsibility Hindi summary | 40 वर्ष की आयु तक, आपको यह समझने के लिए पर्याप्त स्मार्ट होना चाहिए:

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Your Life is 100% your Responsibility Hindi summary | 40 वर्ष की आयु तक, आपको यह समझने के लिए पर्याप्त स्मार्ट होना चाहिए:

 1. चुप रहो.  हर बात कहने की जरूरत नहीं है.
 2. अनावश्यक नाटक से चुप्पी बेहतर है.
 3. अगर आपको कोई अपने से ज्यादा होशियार मिले तो उसके साथ काम करें, प्रतिस्पर्धा न करें।  प्रतिस्पर्धा एक कमजोरी है.
 4. आप जिस परिवार से आते हैं, उससे अधिक महत्वपूर्ण वह परिवार है जिसे आप बनाते हैं।
 5. आपकी वर्तमान नौकरी आपकी परवाह नहीं करती।  वे आपको केवल आपके सपनों को मारने के लिए पर्याप्त भुगतान करते हैं।
 6. अपने आप को समाज की सलाह से मुक्त करें, उनमें से अधिकांश को पता ही नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं।
 6. प्रभाव
 अधिकांश लोग जीवन में बह जाते हैं।
 उनका कोई उद्देश्य, कोई दिशा और शून्य इरादा नहीं है।
 उनकी ज़रूरतें जानें.
 उनका नेत्रत्व करो।
 7. 1 मित्र का होना बेहतर है;
 • आप के लिए खुश है
 • आपकी जीत का समर्थन करता है
 • आपके सपनों को प्रोत्साहित करता है
 ऐसे समूह से दूर रहे जो हैं
 • आलसी
 • आत्म केन्द्रित
 • आपकी सफलता से ईर्ष्या
 8. यदि आप अपने माता-पिता को माफ कर देंगे और उन्हें दोष देना बंद कर देंगे तो आप 10 गुना अधिक खुश होंगे।
 9. यदि आप “सही समय” का इंतजार करते रहेंगे, तो आप अपना पूरा जीवन बर्बाद कर देंगे और कुछ भी नहीं होगा।
 10. तुम्हें बचाने कभी कोई नहीं आएगा.  आपका जीवन 100% आपकी जिम्मेदारी है।
 11. आपका आंतरिक दायरा धन, सफलता और परिवार शुरू करने पर अधिक केंद्रित होना चाहिए।
 12. कोई तुम्हें बचाने नहीं आ रहा.  यह जीवन 100% आपकी जिम्मेदारी है।

How to stop become Nice Hindi summary | क्या लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना आपको नुकसान पहुंचा रहा है? तो जानें ये 27 सिद्धांत!

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How to stop become Nice Hindi summary |  क्या लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना आपको नुकसान पहुंचा रहा है?  तो जानें ये 27 सिद्धांत!

  1. ऐसा कुछ भी करना बंद करें जिससे लोगों को लगे कि आप वास्तव में जो हैं उससे कुछ बेहतर या अलग हैं।
  2. आपके लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर टकराव से बचने या टालने के लिए बनाई गई कोई भी चीज़ करना बंद करें।
  3. अपनी जरूरतों पर दूसरे लोगों की इच्छाओं को प्राथमिकता देना बंद करें।
  4. बेहतर ढंग से स्वीकार किए जाने, प्यार किए जाने, स्वीकृत होने और मान्य होने के लिए आप कौन हैं, इसे बदलना बंद करें।
  5. केवल अपनी प्रतिष्ठा सुधारने के लिए बनाई गई कोई भी चीज़ करना बंद करें।
  विशेष रूप से यदि यह कुछ ऐसा है जिसे आप नहीं करना चाहेंगे यदि आपको लगे कि आपके पास कोई विकल्प है।
  6. हर उस चीज़ से स्वचालित रूप से सहमत होना बंद करें जो आपको पसंद हो, जिसके प्रति आप आकर्षित हों, या जिसे आप श्रेष्ठ मानते हों।
  7. अलग-अलग लोगों के साथ अलग-अलग व्यवहार करना बंद करें।
  8. जब आप सीधे नहीं पूछते तो लोगों से यह जानने की अपेक्षा करना बंद कर दें कि आप क्या चाहते हैं।
  9. लोगों को “अच्छा” या खुश महसूस कराने की कोशिश करना बंद करें।
  10. अपने विश्वासों और विचारों को अपने आस-पास के लोगों के अनुसार समायोजित करना बंद करें।
  11. वही करें जिसमें आप विश्वास करते हैं और आनंद लेते हैं, खासकर जब दूसरों को इससे आपत्ति हो सकती है।
  12. हमेशा अपने मन की बात कहें, भले ही इससे टकराव हो।
  13. दूसरों को अपने जैसा बनाने के बजाय ऐसे काम करने पर ध्यान दें जिससे आपको खुद पर गर्व हो।
  14. लोगों को आपसे नफरत करने दें और वे आपके बारे में जो भी विश्वास करना चाहते हैं उस पर विश्वास करें, भले ही वह गलत हो।
  15. सही/गलत के बारे में अपने मूल मूल्यों और मान्यताओं का अन्वेषण करें, और इन सिद्धांतों का पालन करें, भले ही वे आपके आस-पास के लोगों से भिन्न हों।
  16. किसी ऐसे व्यक्ति को अस्वीकार करें और उससे छुटकारा पा लें जो आपके जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं लाता है।
  17. लोगों को वह सब महसूस करने दें जो वे महसूस करना चाहते हैं और अपनी भावनाओं पर काबू पाने की अपनी क्षमता को प्रबंधित करने पर ध्यान केंद्रित करें।
  18. आप जो चाहते हैं सीधे मांगें।
  19. आप जिस बात पर विश्वास करते हैं और उससे सहमत या असहमत हैं, उसके लिए खड़े रहें।
  20. लोगों से समर्थन पाने की कोशिश करने के बजाय एक व्यक्ति की सेना बनें।
  21. जब आप गलत हों तो पीछे हट जाएं, जब आप सही हों तो लड़ना बंद कर दें और अपनी बात सामने रखें।
  22. लोगों को समझाने या बहकाने की कोशिश न करें.
  23. कभी भी आपको नुकसान पहुंचाने का बदला न लें.
  24. कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति का अनादर न करें, लेकिन सम्मान को प्रस्तुतिकरण के साथ भ्रमित न करें.
  25. आप जो चाहते हैं उसके बारे में स्पष्ट रहें लेकिन जब आपको “नहीं” मिले तो पीछे हट जाएं।  गेम न खेलें या लोगों को बरगलाने की कोशिश न करें।
  26. सबसे ऊपर, बिना किसी हिचकिचाहट के अधिक आत्मविश्वासी और मर्दाना बनने के लिए आप जो सबसे बड़ा बदलाव कर सकते हैं, वह है हर समय, हर चीज के बारे में ईमानदार रहने का प्रयास करना।
  27. ईमानदारी के साथ जीने के पक्ष में परिणाम खोने के लिए तैयार रहें।

Cancer | Ayurveda | कैंसर में प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्तिकरण में आयुर्वेद सक्षम

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Cancer | Ayurveda | कैंसर में प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्तिकरण में आयुर्वेद सक्षम

 

भारत में तेज़ी से बढ़ रही है कॅन्सर जैसी जानलेवा बीमारी। ICMR के दावे के हिसाब से 2025 तक भारत में  बहुत आम कँसर के रोगी पाए जाएँगे। दुनिया में जहा कँन्सर के cases हैं, उसके हिसाब से 2023 WHO की रैंकिंग रिपोर्ट के चीन व अमेरिका के बाद, कॅन्सर की रैंकिंग में भारत देश तिसरा है। क्यों भारत में कॅन्सर एक आम बिमारी की तरह बढ़ रही है?

USA में दवाईयाँ, एडवान्सड टेक्नोलोजी और ट्रिटमेंट के बढ़ते स्तर की वजह से कैंसर से होने वाला मृत्यू का दर 33% कम हुआ है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक 1991 से लेके अब तक 3.8 मिलियन मौते कैंसर की वजह से कम भी हुई है। परंतु यह सुधारना भारत के पेशंट्स में क्यो नही दिख रही है?
जबकी दवाईयाँ हॉस्पीटलस, एडवांस्ड टॅक्नोलॉजी में काफी सुधार हुआ है, लेकिन लंग्स  कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर के मरीज बढ़ोतरी हुई है। तकरीबन 14.6 लाख नए कैंसर के cases 2022 पाए गए है। यह संख्या 14.2 लाख 2021 में थीं और 13.9 Lakhs 2020 में थी, ऐसा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) मे पार्लमेंट में बताया। यह कँसर की भयावह परिस्थिती भारत में और न बढ़े इसके लिए क्या करना चाहिए?
कैंसर को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से नियमित किया जा सकता है।
अगर हम आयुर्वेदिक जिवनशैली का अनुकरण करे तो केंसर के परिणामों के डर से बाहर निकलना जा सकता है।
चालियें जानते हैं कि भारत में यह केंसर के रोगी किस वजह से बढ़ रहें हैं?
सबसे बड़ी वजह है गलत खानपान, गलत तरीके का रहन सहन (जीवनशैली), निकोटिन का अत्यधिक इस्तेमाल, प्रदुषण का बढ़ता स्तर, cold drinks व दारू का अत्यधिक सेवन, गुटखा, मानिकचंद का व्यसन और सबसे घातक ईस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल पेस्टीसाईडस व कीटनाशक दवायां।

फल स्वरूप hybrid फल, धान्य, दूध एवम सब्जियो की बढ़ती उपज। केमिकल, आर्टिफिशियल प्रिजर्वेटिव, टेस्टियर के इस्तेमाल से बने जंक फूड भी शरीर के प्रतिकार सक्ति को कम कर रहे है। अव्यायामाम एक जगह पे बैठके सारे काम करना, मानसिक तनाव में रोज की जीवनशैली, भावनिक अस्थिरता, मोबाइल, social मिडियां की आदत जिसमे रिश्तों की अनबन वेस्टर्न कल्चर का अवलंबन व हमारी संस्कृती का बिगाड़, अत्याधिक रेडिएशन्स के दायरे में रहना यह और कई सारी वजह इस ‘केंसर’ स्वरूप दानव को खाद डाल रही है। इन सारे कारणों से यह जानलेवा कँसर जवान, बुजुर्ग और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले लेता है।
यह भी जानना जरूरी है कि केंसर होता कैसे है?

हमारा शरीर खरोबों कोशिकाएँ से बना हुआ है, शरीर का हर छोटा अंग करोड़ो कोशिकाओं से बनता है। हर कार्य को करने लिए यह कोशिकाएँ अवसकता के अनुसार बढ़ती और घटती है। परंतु किसी कारण वश जब यह कोशिकाएँ अनियंत्रित स्वरूप से बढ़ने लगती है तब कॅन्सर की शुरुवात होती है। अनियंत्रित रूप से बढ़ रही यह कोशिकाएँ इतनी शक्तिशाली होती है की शरीर की सामान्य कोशिकाएँ में घुसपैठ करके उन्हें भी नष्ट करती हैं और पूरे शरीर की व्याधि प्रतिकार शक्ती भी नष्ट कर देती है।
हमारे भारतीय वैज्ञानिक, डॉक्टर्स, pharmaceutical इन्डस्ट्रीज की प्रगति के कारण कँसर ट्रीटमेंट में भी नए आविष्कार हुए है। फल स्वरूप केंसर इंस्टीट्यूट में न्यू टार्जेटेड थियरवीज, इम्यूनो थिचरखी, Harmone Therapy, Surgeries, chemotherapy, radio therapies, इत्यादि हो रहे हैं, फिर भी भारत में कैंसर से मृत्यु होने का दर क्यू बढ़ता जा रहा है?
नायसर्गिक वह साधारण जीवन शैली को भूल कर अजैविक व नायसर्गिक घटकों का जीवन मे सहभाग होने की वजह से
यह एक खतरनाक बिमारी अपना दायरा बढ़ा रही है।
भारतीय परंपरा से जीवन शैली का अनुकरण करे तो हम इस बीमारी से बच भी सकते है, और आयुर्वेद की बताई हुए तत्वों के आधार पर की गई शोधन व शमन चिकित्सा कैंसर के रोगी का जीवन स्तर बढ़ा सकती है। अज्ञानता व केंसर के पूर्व लक्षणों के बारे में अजागरुकता केंसर को जानलेवा बीमारी बनाती है।
सर्व साधारण लक्षण जैसे वजन कम होना, थकान लगना, खून कम होना, गांठ का बनना, त्वचा का रंग बदलना, शरीर में सुस्ती, गले से खून निकलना इत्यादि, ये सारे लक्षणों की जागरूकता बढ़ाकर हम 80% लोगो को हम होने कैंकर के भयानक दुस परिणामों से अवगत कराके बचा सकते है| अगर अनदेखा ना किया जाए और वक्त पे हम स्क्रीनिंग किया जाए, आयुर्वेदिक जीवन शैली एवं नैसर्गिक उपचार
किए जाए तो भी 80% लोगों को हम अच्छे स्तर का जीवनमान दे सकते हैं।

आज 1 लाख केंसर cases अगर भारत में है तो 94.1 cases पुरुषों में पाए जाते है जिन में lungs cancer, Colon Cancer, mouth cancer, Prostrate Cancer, Stomach Cancer होते है। जो तकरीबन 36% केंसर cases होते है। वैसे ही १०३.६ स्तीयों में केंसर cases पाये जाते है, जिनमें Breast cancer, Cervical Cancer, Uterus Cancer, lung Cancer जैसे cases पाए जाते हैं।

अगर यही हालात रहे, जगरूकता की कमी रही, तो लोग डर के मारे महंगे ट्रिटमेन्टस करके भी बीमारी की बजाए केमो रेडियो थेरिपी के side-effect से मृत्यु को प्राप्त होंगे। ICMR की Population based Cancer Registeration data से पता चला है कि 2025 तक भारत में 16 लाख सालाना मरीज कैंसर के पाए जायेंगे। भारत में 10 में से 7 लोग मृत्यु प्राप्त हो जाते और विकसित देशों में यह मृत्यु दर 10 में से 3/4 ही पेसेंट मृत्यू प्राप्त होते हैं। यह परिस्थिति और खतरनाक होने से पहले केंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर उसे नैसर्गिक जीवनशैलीव व आयुर्वेदिक सर्वागिन चिकित्या पद्धती से चिकित्सा की जाए तो यह मृत्यू दर भी कम होगा व आयुमर्यादा बढ़ाई जा सकती है।

जागरुकता बढ़ा कर व गलत जिवनशैली को परिवर्तित करके आहार, विहार, व्यायाम, व्यसन मुक्ति, निदान परिवर्जन, सर्व संपूर्णतः इस भयानक कैंसर का डर कम कर सकते हैं।

आयुर्वेद शास्त्रों में बताए गए दिनचर्या, ऋतुचर्या में बताए गए परिचर्या व प्रकृति के नियमो का पालन अनिवार्य है।
इसके साथ हमारे आहार में लेने वालें सारे हब्रिड पदार्थों को हटा के जैविक खाद का इस्तेमाल करके जैविक खेती से उत्पन्न अनाज, फल, सब्जिया इत्यादि का सहभाग होना चाहिए। हमारे बढ़ते हुए प्रदूषण, विषाक्त युक्त पदार्थ, जहरीले पानी, Refined sugar, junk food बढ़ते हुए व्यसन की वजह से हमारे जीवन में रोज विषाक्त धटक, (Toxins) खून में रोज घुल मिळ के हर किसी की प्रतिकार शक्ति कम कर रहे है, जिससे कोशिकाओं को पोषक तत्व नहीं मिलते, जीवनावश्यक प्राण वायू (ऑक्सिजन) नहीं मिलता व उसकी वजह से हर दिन कैंसर पेशी में बदलने वाले Carcinogens हमारे खून में जमा होने कोशिकाओं को परिवर्तित कर देते है व अनियंत्रित बदलाव बढ़ने लगते है।

हर किसी के शरीर में अगर यह विषाक्त पदार्थ शरीर की प्रतिकार शक्ति कम करने लगे तो कैंसर या कोई दूसरी बीमारी भी होने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर की कोशिकाएं जो प्रतिकारशक्ती में सहभाग लेती है वह Autophagy से ही कई सारे बिमारियों की जड़ को खत्म करती है। परंतु कैंसर के इतने कारणों में से कई पदार्थ इन्हीं disciplined cells को undisiplined होने के लिए मजबूर करती है वह गलत प्रेरणा देती है। परिणाम स्वरूप ‘undisciplined growth of cells या undisciplined breaking of immunity cells के परिणाम स्वरूप कैंसर निर्मिती होती है। इसलिए अगर हम आयुर्वेदिये चिकित्सा पद्धति से पंचकर्म करके इन विसक्त द्रव्यों को शरीर से बाहर निकालकर शरीर की नैसर्गिक तरिके से शुद्धीकरण करके कोशिकाओं की कैंसर के प्रति लड़ने की ताकद बढ़ा सकते है।

दूध, घी, तेल, खान पान से रोज जाने वाले जहरीले पदार्थ , मिलावट वाले, अजैविक केमिकल्स को पूरी तरह से तो हटा नहीं सकते और ये शरीर में जाके प्रतिकूल परिणाम करने लगते है। कैंसर कोई बॅक्टेरियल, फंगल या वायरल डिसीज नहीं हैं।
परंतु शरीर के अपने ही धातुधों के अन्दर अपद्रव्य व अजैविक द्रव्य से निर्मित विषाक्त पर्यायवरण कोशिकाओं में अनियंत्रित बदलाव निर्माण करके कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित होती है। सूक्ष्म प्राणायाम, योगाभ्यास नित्य प्रतिदिन अभ्यंग, अभ्यंतर स्नेहपान, अग्नीवर्धन, दीपन- पाचन चिकित्सा, वातानुलोमन, शाकाहारी सेंद्रिय सुपाच्या आहार, नित्य व्यायाम, सकारात्मक जीवनशैली, प्रत्यग व शरीर शुद्धीकरण के नैसर्गिक उपायों को अवलंच करे व अपुनर्भव चिकित्वा तथा रसायन चिकित्सा का अवलंभ करे। Low oxygenated blood is reason for most of the diseases and Cancer cells cannot thrive in oxygenated environment. इस नॉबक प्राइज रिसर्च के बाद में ऑक्सीजन थेरेपी, O2 zone, antioxidant थेरिपी, नेचुरल एमिनो मॉड्यूलेशन थेरिपी, ऑर्गेनिक न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट थेरिपी एंड लॉ ऑफ अट्रैक्शन, सबकंशियस माइंड हीलिंग जैसे आधुनिक नए तरीकों से आयुर्वेदिय दृष्टिकोन से प्रमाणित कई थेरिपी कैंसर की ट्रीटमेंट में कारगर है।

आयुर्वेदक औषधी चिकित्या पद्धतीस कैंसर की कोशिकाओं पे परिणाम तो करती है ही परंतु शरीर की बाकी सामान्य कोशिकाओं पे कोई दुस्यपरीणाम नहीं करते हैं। हमारी चिकित्या पद्धती में आमपाचक वटी, रस पाचक घन वटी, तुलसी धन, हरिद्रा धन, निंब धन, गुरुची घन, त्रिफला घन, रक्तपाचक घन वटी, मेदोपाचक घन, रसायन वटी, रक्तदा, कासोनिल, लिव्होनिल, इम्युनॉल इत्यादि की योजना की जाती है। बीमारी की स्तर को देख कर चिकित्सा योजना की जाती है।

“प्रकृति से जे जुड़ा है उसे ही बड़ी राहत है।
अभि दुनिया मे समझा नहीं आयुर्वेद में बड़ी ताकद है।. ”

आर्युवेद जन जागृति अभियान: आयुस:भारत सरकार


डॉ. अनुरिता अरुण सकट
रा अ पोतदार
आयुर्वेद महाविद्यालय
सहयोगी प्राध्यापक (शरीर रचना) वरळी.
-९८८१३९६३०४
८४८३८०६३०५